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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सहस्त्रधारा हेलीपैड से जोशियाड़ा हेलीपैड के लिए हेली सेवा का शुभारंभ, पहली उड़ान का आगमन होते ही हेलीपैड पर पुष्पवर्षा कर लोगों ने हर्षोंल्लास किया व्यक्त
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श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में लिवर फेलियर उपचार पर हुआ मंथन, विशेषज्ञों ने माॅर्डन लिवर उपचार से जुड़ी महत्वपूर्ण उपचार विधाओं पर सांझा की जानकारियां
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देवभूमि उत्तराखण्ड के 24वें राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित होने वाली रैतिक परेड की पुलिस लाइन देहरादून में की गई फुल ड्रेस रिहर्सल
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दून विश्वविद्यालय में “प्रवासी उत्तराखंडी सम्मेलन“ में मुख्यमंत्री ने की घोषणा, राज्य में प्रवासी उत्तराखंड परिषद का किया जायेगा गठन
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शिक्षा मंत्री डा. रावत ने किया सैनिक स्कूल घोड़ाखाल का भ्रमण, शैक्षिक गतिविधियों के साथ ही उपलब्ध संसाधनों का किया अवलोकन
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सीएम पुष्कर सिंह धामी ने किया राज्य की तीन हवाई सेवाओं का वर्चुअल उदघाटन, देहरादून से उत्तरकाशी और गौचर के लिए हेलीकॉप्टर सेवा का किया शुभारंभ
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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से आईएएस एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने की भेंट, विभिन्न विषयों पर की वार्ता
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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी गौचर – देहरादून के लिए हेली सेवा का किया उद्घाटन
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डीएम संदीप तिवारी ने लिया गौचर मेले की तैयारियों का जायजा, दिए निर्देश..
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हताश युवा क्या करें?

हताश युवा क्या करें?

भारत सरकार ने मान लिया है कि यूक्रेन के खिलाफ युद्ध के लिए रूसी सेना ने कई भारतीय युवाओं की भर्ती की है। इस प्रकरण में उठा मुख्य मुद्दा यह है कि आखिर भारतीय नौजवान कहीं भी, कैसा भी काम पाने के लिए इतने व्यग्र क्यों हैं? भारत सरकार ने स्वीकार कर लिया है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के लिए रूस की सेना ने कई भारतीय युवाओं की भर्ती की है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक ऐसे कम-से-कम 100 भारतीय नौजवान रूसी सेना में नौकरी कर रहे हैं। उनमें से कम-से-कम तीन को रूस ने मोर्चे पर तैनात किया है। यानी वे रूस की तरफ से युद्ध लड़ रहे हैं।

स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह संभवत: पहला मौका है, जब भारतीयों के सामूहिक रूप से भाड़े के सैनिक बनने की खबर आई है। सामने आईं जानकारियों के मुताबिक रूस की सेना ने दुबई के जरिए इन भारतीयों को अनुबंधित किया। रूस के गए नौजवानों के परिजनों का दावा है कि इन लोगों की नियुक्ति रूसी सेना की सहायता के लिए की गई थी, लेकिन यूक्रेन सीमा के पास ले जाकर उन्हें बताया गया कि उन्हें लड़ाई भी लडऩी है। मुद्दा उछलने के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि इन भारतीयों को स्वदेश लाने के लिए भारत सरकार रूस की सेना के साथ संपर्क में है।

विदेश मंत्रालय ने भारतीय नागरिकों को आगाह किया है कि वह रूस-यूक्रेन युद्ध से अपने आपको दूर रखें। लेकिन यह सलाह बेमतलब है। जब ये नौजवान रूस चले गए, तब वहां के हालात उनके अपने हाथ में नहीं होंगे। इसलिए विचारणीय प्रश्न यह है कि आखिर भारतीय नौजवान विदेशों में कहीं भी, कैसा भी काम पाने के लिए इतने व्यग्र क्यों हैं? आखिर खुद भारत सरकार ने युद्ध-ग्रस्त इजराइल में मेहनत-मजदूरी करने के लिए हजारों युवाओं को भेजने का करार किया है।

वहां जाने के लिए जुटी भीड़ में शामिल नौजावनों ने मीडिया से कहा था कि उन्हें इजराइल जाने का जोखिम मालूम है, लेकिन उन्हें लगता है कि ‘यहां भूखों मरने से बेहतर वहां काम करते हुए मरना है।’ असल मुद्दा युवाओं में समा गई यही मायूसी है। उत्तर प्रदेश में पुलिस भर्ती परीक्षा में जो नजारा दिखा है, उससे आसानी से समझा जा सकता है कि ऐसी हताशा क्यों पैदा हो रही है। अगर यह स्थिति आज सार्वजनिक विमर्श में सर्व-मुख्य मुद्दा नहीं है, तो रूस गए नौजवानों की तमाम चिंताएं निरर्थक समझी जाएंगी।

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